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सुभाषित दो शब्दों सु + भाषित से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है सुन्दर भाषा में कहा गया| सुभाषित जीवन के दीर्घकालिक अनुभवों के भण्डार हैं जिनमे सुखी और आदर्श जीवन की अनमोल सीख छिपी हुई है | जैसे -
सुभाषित दो शब्दों सु + भाषित से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है सुन्दर भाषा में कहा गया| सुभाषित जीवन के दीर्घकालिक अनुभवों के भण्डार हैं जिनमे सुखी और आदर्श जीवन की अनमोल सीख छिपी हुई है | जैसे -
विरोधिनोअपी श्रोतव्यं,
आत्मलीनतयामतम |
आत्मलीनतयामतम |
तात्कालम न विरोद्धव्यम,
यथाकालं तू खंडयेत ||
यथाकालं तू खंडयेत ||
***अर्थ***
विरोधियों के विचार को भी
आत्मीयतापूर्वक सुनना चाहिए
और तत्काल उसका विरोध
नहीं करना चाहिए|
बाद में उचित समय पर
बात का खंडन करना चाहिए |