निज गौरव को निज वैभव को


निज गौरव को निज वैभव को

निज गौरव को निज वैभव को, 
क्यों हिन्दू बहादुर भूल गए
उपदेश दिया जो गीता में,
क्यूं सुनना सुनाना भूल गए ।।

रावण ने सीता चुराई थी,
 हनुमान ने लंका जलाई थी ।
अब लाखों सीते हरी गई,
 क्यों लंका जलाना भूल गए ।।१।।

कान्हा ने रास रचाया था,
 दुष्टों पर चक्र चलाया था
अब रास रचाना याद रहा,
 क्यूं चक्र चलाना भूल गए ।।२।।

गीता का ज्ञान कराया था,
 अर्जुन को वीर बनाया था, 
बंसी का बजाना याद रहा,
 क्यूं वीर बनाना भूल गए ।।३।।

राणा ने राह बनाई थी,
 शिवराज ने भी अपनाई थी,
जिस राह पर बंदा वीर चले,
 उस राह पे चलना भूल गए।।४।।

केशव का भी उपदेश यही,
 माधव का भी संदेश यही,
जिस मां की गोद में जन्म लिया,
 क्यूं मान बढ़ाना भूल गए ।।५।।
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