देश के लिए जिए, समाज के लिए जिए

देश के लिए जिए, समाज के लिए जिए

देश के लिए जिए, समाज के लिए जिए
ये धड़कने ये स्वास हो, पुण्यभूमि के लिए

गर्व से सभी कहें, हिंदू है हम एक हैं
जाति पंथ भिन्नता, स्नेह सूत्र एक हैं
शुभ्र रंग की छटा, सप्तरंग है लिए।।
ये धड़कने ये स्वास हो, पुण्यभूमि के लिए

कोटि-कोटि कंठ से, हिंदू धर्म गर्जना
नित्य सिद्ध शक्ति से, मातृभू की अर्चना
संघे शक्ति कलियुगे, सुधा है धर्म के लिए।।
ये धड़कने ये स्वास हो, पुण्यभूमि के लिए

व्यक्ति व्यक्ति में जगाए, समाज भक्ति भावना
व्यक्ति को समाज से, जोड़ने की साधना
दांव पर सभी लगे, धर्म कार्य के लिए।।
ये धड़कने ये स्वास हो, पुण्यभूमि के लिए

एक दिव्य ज्योति से, असंख्य दीप जल रहे
 कौन लौ बुझा जा सके, आंधियों में जो जले 
तेज पुंज हम बढे, तमस चीरते हुए।।
ये धड़कने ये स्वास हो, पुण्यभूमि के लिए
देश के लिए जिए, समाज के लिए जिए
ये धड़कने ये स्वास हो, पुण्यभूमि के लिए

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