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सुभाषित दो शब्दों सु + भाषित से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है सुन्दर भाषा में कहा गया| सुभाषित जीवन के दीर्घकालिक अनुभवों के भण्डार हैं जिनमे सुखी और आदर्श जीवन की अनमोल सीख छिपी हुई है | जैसे -
अमानी मानदो मान्यो, लोक स्वामी त्रिलोक धृक।
सुमेधा मेध जो धन्य:, सत्यमेधा धराधर:।।
***अर्थ***
जिसे स्वयं के सम्मान की चिंता नहीं, जो दूसरों का सम्मान करता है, इसी कारण सर्वमान्य होता है। वही समाज का नैतिक नेतृत्व प्राप्त करता है। ऐसा कार्यकर्ता मेधावी, धन्य अपनी बात को योग्य रूप से रखने वाला तथा पृथ्वी की भांति सब को संभालने वाला होता है।
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