सुभाषित - मातृवत परदारेषु


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सुभाषित दो शब्दों सु + भाषित से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है सुन्दर भाषा में कहा गया| सुभाषित जीवन के दीर्घकालिक अनुभवों के भण्डार हैं जिनमे सुखी और आदर्श जीवन की अनमोल सीख छिपी हुई है | 
जैसे - 



मातृवत परदारेषु, 
पर द्रव्ययेषु लोष्ठवत।
आत्मवत सर्वभूतेषु, 
यः पश्यति स: पंडित:।।

***अर्थ***

दूसरे की स्त्री को माता के समान, 
दूसरे के धन को मिट्टी के समान 
तथा जो सबको अपने जैसा मानता है 
वही विद्वान है।

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