शुद्ध सात्विक प्रेम अपने कार्य का आधार है
शुद्ध सात्विक प्रेम अपने, कार्य का आधार है
प्रेम जो केवल समर्पण, भाग को ही जानता है
और उसमें ही स्वयं की, धन्यता बस मानता है
दिव्य ऐसे प्रेम में, ईश्वर स्वयं साकार है।।
शुद्ध सात्विक प्रेम अपने, कार्य का आधार है
विश्व जननी ने किया, वात्सल्य से पालन हमारा
है कृपा इसकी मिला है, प्राण तन जीवन हमारा
भक्ति से हम को समर्पित, बस यही अधिकार है।।
शुद्ध सात्विक प्रेम अपने, कार्य का आधार है
जाति भाषा प्रांत आदि, वर्ग भेदों को मिटाने
दूर अर्था भाव करने ,तम अविद्या को हटाने
नित्य ज्योतिर्मय हमारा, हृदय स्नेहागार है।।
शुद्ध सात्विक प्रेम अपने, कार्य का आधार है
कोटी आंखों से निरंतर, आज आंसू बह रहे हैं
आज अनगिन बंधु दु:सह, यातनाएं सह रहे हैं
दुख भरे सुख दे सभी को, एक यह आचार है।।
शुद्ध सात्विक प्रेम अपने, कार्य का आधार है
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