मन मस्त फकीरी धारी है



मन मस्त फकीरी धारी है 

मन मस्त फकीरी धारी है 
अब एक ही धुन जय जय भारत 
जय जय भारत जय जय भारत ।।

हम धन्य हैं इस जग जननी की,
 सेवा का अवसर है पाया,
इसकी माटी वायु जल से,
 दुर्लभ जीवन है विकसाया,
यह पुष्प इसी के चरणों में,
 मां प्राणों से भी प्यारी है ।।१।।

सुंदर सपने में आकर्षण,
 सब तोड़ चले मुख मोड़ चले,
वैभव महलों का क्या करना,
 सोते सुख से आकाश तले,
साधन की ओर न ताकेंगे,
 कांटो की राह हमारी है ।।२।।

ऋषि मुनियों संतो का तप,
 अनमोल हमारी थाती है,
बलिदानी वीरों की गाथा,
 अपने रग रग लहराती है,
गौरवमय नव इतिहास रचे,
 अब अपनी ही तो बारी है ।।३।।





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