दसो दिशाओं में जाएं, दल बादल सा छा जाएं,
उमड़ घुमड़ कर हर धरती को, नंदनवन सा सरसाएं।।
यह मत समझो किसी क्षेत्र को, खाली रह जाने देंगे,
दानवता की बेल विषैली, कहीं नहीं छाने देंगे,
जहां कहीं लूं झुलसाती, अमृत रिमझिम बरसाएं ।।१।।
नंदन वन सा सरसाएं ........
फूल सुकोमल धरती पर हम, बिजली नहीं गिराते हैं
किंतु अडिले बालू टीले, वर्षा में ढह जाते हैं,
ध्वंस हमारा काम नहीं, अविरल जीवन विकसाएं ।।२।।
नंदन वन सा सरसाएं ........
देश देश के जीवन दर्शन, अनुभव कहता पूर्ण नहीं,
आदि सृष्टि से हिंदू धर्म की, पूर्ण धर्म उपलब्धि रही,
ज्ञान किरण फिर प्रकटाएं, शांति व्यवस्था समझाएं ।।३।।
नंदन वन सा सरसाएं ........
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