संचलन गीत
मुक्त हो गगन सदा, स्वर्ग सी बने महि
संघ साधना यही, राष्ट्र अर्चना यही ।।
व्यक्ति-व्यक्ति को जुटा, दिव्य संपदा बढ़ादेशभक्ति ज्वार ला, लोकशक्ति आ रहीहै स्वतंत्रता यही, पूर्ण क्रांति है सही ।१।
संघ साधना यही .....................
भारत भूमि हिंदू भू, धर्म भूमि मोक्ष भू
अर्थ काम सिद्धि भू, विश्व में प्रथम रही
संगठित प्रयत्न से, हो पुनः प्रथम वही ।२।
संघ साधना यही .....................
दीनता अभाव का, स्वार्थ के स्वभाव का
क्षुद्र भेदभाव का, लेश भी रहे नहीं
मित्र विश्व हो सभी, द्वेष क्लेश हो नहीं ।३।
संघ साधना यही .....................
नगर ग्राम बढ़ चले, प्रगति पंथ चढ़ चले
सब समाज साथ ले, कार्य लक्ष्य एक ही
मां बुला रही हमें, भारती बुला रही ।४।
संघ साधना यही .....................
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