ना हो साथ कोई अकेले चलो तुम



ना हो साथ कोई अकेले बढ़ो तुम 

ना हो साथ कोई अकेले बढ़ो तुम 
सफलता तुम्हारे चरण चूम लेगी।।
सदा जो जगाए बिना ही जगा है,
अंधेरा उसे देखकर ही भगा है।
वही बीज पनपा पनपना जिसे था,
घुना क्या किसी के उगाए उगा है।
अगर उग सको तो उगो सूर्य सा तुम,
प्रखरता तुम्हारे चरण चूम लेगी।।१।।
ना हो साथ कोई.........
सही राह को छोड़कर जो मुड़े हैं,  
वही देख कर दूसरों को कुढ़े हैं।
बिना पंख तौले उड़े जो गगन में,
न संबंध उनके गगन से जुड़े हैं।
अगर बन सको तो पखेरू बनो तुम,
प्रवरता तुम्हारे चरण चूम लेगी।।२।।
ना हो साथ कोई.........
न जो बर्फ की आंधियों से लड़े हैं,
कभी पग न उनके शिखर पर पड़े हैं।
जिन्हे लक्ष्य से कम अधिक प्यार खुद से,
वही जी चुराके तरसते खड़े हैं।
अगर जी सको तो जियो जूझकर तुम, 
अमरता तुम्हारे चरण चूम लेगी ।।३।।
ना हो साथ कोई.........

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