हमारी आस्थाएँ
ॐ 'सत्यं वद धर्मं चर' | सत्य बोलना, धर्म के अनुसार चलना चाहिए |
🚩 मातृवत परदरेषु, परद्रव्येषु लोष्ठवत |
आत्मवत सर्वभूतेषु, य: पश्यति स: पण्डितः ||
दूसरे की स्त्री को माता के सामान, दूसरो के धन को मिट्टी के
समान तथा जो सबको अपने जैसा मानता है, वही विद्वान है |
ॐ चार पुरुषार्थ जिनका सब पालन करें - धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष |
🚩 'पुनरपि जननं पुनरपि मरणं ' - जो पैदा होते हैं वे सब मरते हैं,
जो मरते हैं वे सब फिर से जन्म लेते हैं |
ॐ जैसा कर्म करते हैं, वैसा फल मिलता है | इसको ताल नहीं सकते |
🚩 'उद्धरेदात्मनात्मानं' | अपनी उन्नति अपने हाथ में ही है |
ॐ देकर खाना ही धर्म है | 'तेन त्यक्तेन भुञ्जीथा:'
🚩 हर मानव को पाँच यज्ञ करने है - देवयज्ञ, पितृयज्ञ, अतिथियज्ञ, भूतयज्ञ, ब्रह्मयज्ञ |
ॐ मातृ देवो भव, पितृ देवो भव, आचार्य देवो भव, अतिथि देवो भव |
🚩 हरा वृक्ष नहीं काटें |
ॐ हम ऋषियों की संताने हैं |
🚩 घर स्वर्ग है | उसको स्वर्ग जैसे ही रखें |
ॐ गायत्री मन्त्र अत्यंत श्रेष्ठ मंत्र है |
🚩 गरीबी पाप नहीं है |
ॐ हम ऋषियों की संताने हैं |
🚩 स्वेच्छा दारिद्रय और अपनी आवश्यकताओं को काम करना यह एक श्रेष्ठ मानसिकता है |
ॐ ""त्यागाय संबृतार्थानां" रघुवंश के इस गुण की वृद्धि हो | न्यायमार्ग से खूब धनार्जन करें | धन को पुण्यकार्यो में खर्च करें | शतहस्तेन समाहर सहस्त्र हस्तसंकिर |
🚩 मानव देव बन सकता है | बनना ही है | इसके लिए ही भारत में हमारा जन्म हुआ है
ॐ धन्यो गृहस्थाश्रम: यह सबको मालूम हो |