हिन्दू जीवन की विशेषताएँ

हिन्दू जीवन की विशेषताएँ 


१. |   प्रतिदिन तीन काम - नित्य स्नान, नित्य ध्यान, नित्य व्यायामा |
२. |   सप्ताह में एक दिन -सिर से पैर के तलवे तक सारे शरीर को तेल लगाकर गरम पानी से 
        स्नान करना |
३. |   पक्ष (15 दिन) में एक बार उपवास रखना अर्थात कुछ नहीं खाना |
४. |   वर्ष में एक बार प्रवास | किसी प्रेरणा देने वाले स्थान पर सम्पूर्ण परिवार के साथ जाना |
५. |   सप्ताह में एक दिन परिवार के सभी सदस्यों को मिलकर एक घंटा सत्संग करना |
६. |   घर के सामने तुलसी का पौधा हो |
७. |   घर द्वार या योग्य स्थान में ॐ , शुभ लाभ, जय श्रीराम इत्यादि मंगल शब्द लिखें | 
८. |   घर में देवी-देवता, महापुरुषों और पूर्वजों के चित्र योग्य स्थान में सुशोभित करें |
९. |   घर में धार्मिक ग्रन्थ रहें और उनका पठन प्रतिदिन होता रहे |
१०.|  घर में उत्तम दैनिक, साप्ताहिक, मासिक पत्र आते रहें और घरवाले उनको पढ़ते रहें |
११.|  घर में भजन, कीर्तन, सत्संग इत्यादि कार्यक्रम होते रहें  |
१२.|  घर में एक पूजास्थान रहे | घर का हर सदस्य दिन में काम से कम एक बार वहां जाता 
     |  रहे |
१३. घर में आये अतिथियों का योग्य आदर सत्कार होता रहे |
१४.|  संस्कृत भाषा के अध्ययन में घर के सभी सदस्यों की रूचि रहे |
१५.|  पड़ोसियों के साथ मधुर सम्बन्ध रहें |
१६.|  बचत का अभ्यास घर में सभी को हो | यह धन के बारे में आदर व्यक्त करने का संकेत 
         है |  
१७.|  सोने से पहले ईश स्मरण करने का अभ्यास रहे | दिनभर किये कामों के बारे में निर्मल 
      |  भाव से अवलोकन करने का भी अभ्यास हो |
१८.|  भाषाओं को सीखना चाहिए | ज्यादा भाषाएँ जिसको आती हैं, उसकी व्याप्ति विशाल 
      |  होती है | पहले बोलना, पश्चात् पढ़ना-लिखना भी सीखना चाहिए |
१९.  पत्र लिखने का अभ्यास अत्यंत श्रेष्ठ है | गौरव को बढ़ाता  है |
२०.|  दान देने की  प्रवृति बढ़नी चाहिए |
२१.|  शुभ अवसर पर मंगल स्नान, शुभ वस्त्र धारण, मंदिर जाकर देवदर्शन, दान और मिष्ठान 
      |  बाँटना, ये पाँच काम करने ही चाहिए |
२२.|  दूसरों को खिलाकर खाना ही धर्म है | "तेन त्यक्तेन भुञ्जीथा:"
२३.|  घर में इन शब्दों का प्रयोग साधारणत: होता रहे | पूजा, अभिषेक, तीर्थ, नैवेद्य,  प्रसाद,
      |  आरती, प्रदक्षिणा, साष्टांग प्रणाम, अगरबत्ती, धूप, दीप, कर्मफल, पुनर्जन्म, धर्म, अर्थ,
      |  काम, मोक्ष, अर्पण, पाप-पुण्य, स्वर्ग-नरक, सुख-दुःख, प्रातः-सायं, जन्म-मरण, उत्थान-
       पतन |
२४.|  घर में सब सदस्यों को करने योग्य जैसे - स्वच्छता, योगाभ्यास, पूजा, भोजन इत्यादि |
२५.|  अनावश्यक खर्च, भोगवाद हमारी प्रकृति और अपनी धर्मप्रवृति को शोभा नहीं देता,
      |  योग्य भी नहीं है |
२६.|  बंधुजनों को रिश्ते से पहचानना | उन्हीं शब्दों से उन्हें सम्बोधित करना |
२७.|  विवाह इत्यादि मंगल प्रसंगो में धार्मिक पहलू को महत्त्व देकर उसे श्रद्धा और एकाग्रता 
      |  से, शांति से करना | सामाजिक पहलू का भी योग्य रीती से ध्यान रखना |
२८.|  निमंत्रण पत्रों को मातृभाषा या संस्कृत में छपवाना |
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