हिन्दू परम्परा की विशेषताएँ

हिन्दू परम्परा की विशेषताएँ

  प्राणियों की हिंसा न हो | "अहिंसा परमो धर्मः" | 
🚩 बड़ों से उन्नत स्थान पर नहीं बैठना चाहिए | 
  जब बड़े खड़े हैं तो छोटो को नहीं बैठना चाहिए | 
🚩  पूजा हो रही है हो तो भक्तिभाव से, शांति से उसमें सम्मिलित हों |
  गंगा माता विश्व में सर्वश्रेष्ठ नदी है, उसका जल अत्यंत पवित्र है | 
🚩 जीवन में काम से काम एक बार काशी और रामेश्वरम की यात्रा 
       करें | 
  किसी घर में जाकर अंत्यदर्शन कर आने के बाद स्नान करने के 
       बाद ही सामान्य व्यवहार प्रारम्भ करें |
🚩 सबको संकल्प याद रहे | हर दिन दुहराएँ| इससे अपने देश, 
      संस्कृति और परिसर का ठीक ज्ञान होता है | 
  धन का अर्जन उत्तम मार्ग से करें | 
🚩 खर्च करते समय घर का निर्वाहण, अगली पीढ़ी को उत्तम 
       संस्कार, धर्मकार्य के लिए बचत करना | इन सबका संतुलन रहे |  
  आडम्बर के लिए खर्च नहीं करना चाहिए | 
🚩  हर व्यक्ति पर तीन ऋण होते हैं - देवऋण, ऋषिऋण, पितृऋण | 
  घर के कामों में सभी सदस्यों का सहयोग यथाशक्ति मिलता रहे | 
🚩 काम करते समय माताएँ स्त्रोत या भक्तिगीत गाते -गाते काम करें
  वृद्ध माता-पिता को अपने साथ रखें | 
🚩 वर्ष में एक बार अपने बंधु मित्रों को अपने घर में बुलाकर पूजा 
      भजन करके सबको प्रसाद देने का कार्यक्रम हो | 
  बड़े व्यक्ति घर में आएं तो उनको नमस्कार करके आशीर्वाद  लें | 
       बच्चों को भी वैसा ही करने की शिक्षा दें | 
🚩 बड़े व्यक्तियों के साथ सम्मानजनक बातें करना सिखाएँ | 
   घर के सभी व्यक्ति सप्ताह में एक बार मिलकर अपने परिवार 
       के बारे में चर्चा करें | 
🚩  भूख, अंधकार और मौन का अनुभव सबको हो ऐसी योजना बने |
  ग्राम विकास के कामों में परिवार से सबका सहयोग मिलता रहे | 
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